Thursday, 18 June 2015

इश्के इम्तहान

इश्के इम्तहां में  कोई कसूर न हो
हो कबूल जहान, बागी कोई दस्तूर न हो
खुशी से महके हर आँगन, प्यार ही प्यार हो बस कोई मजबूर न हो
तेरी याद हो इबादात कोई नासूर न हो
तेरी गली में आया हर आशिक बस  मश्हूर न हो
इश्के इम्तहान में कोई कसूर न हो
हो कबूल जहान , बागी कोई दस्तूर न हो

ख़्वाबों की किताब के पन्नों में कोई सरुर न हो
रूठा सा टूटा हुआ दिल कोई दूर न हो
जिक्र हो इश्क़ का और तेरा नाम हज़ूर न हो
इश्के इम्तहान में कोई कसूर न हो
हो कबूल जहान बागी कोई दस्तूर न हो

Monday, 1 June 2015

Never This Way.....

A few words to borrow
A few words to say
I felt very often
But never this way......

A feel of special
Real or Fake
I felt very often
But never this way.....

Destined to happen
Or done with intention
I felt very often
But never this way......

I never judge a person
How they say
Wrong ones are often
I don't know where the right stays......