Asmi
Friday, 12 November 2021
ख्वाहिश
तंज़ ख्वाहिशों के सुर्खरू हम इस कदर कैद हैं,
मानो अनजाने से ख्वाब जीते, खुद को भुला बैठे हैं।।
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)