जो बातें करने को जुबान लगती थी कभी.. . ..
आज नज़रों से रुबरु हो जाया करती है..
तेरी शोहबतों की रज़ा कुछ ऐसी है. ..
मुझे इल्म भी न था. ..
कि मेरी फ़ितरत कुछ कुछ तेरे जैसी है।।
आज नज़रों से रुबरु हो जाया करती है..
तेरी शोहबतों की रज़ा कुछ ऐसी है. ..
मुझे इल्म भी न था. ..
कि मेरी फ़ितरत कुछ कुछ तेरे जैसी है।।